पंचायत चुनाव के लिए खुद चुनाव प्रचार करने मैदान में उतरीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दूसरे दिन ही बाल-बाल बच गईं जब उनके हेलिकॉप्टर को एक एयरबेस पर इमरजेन्सी लैंडिंग करनी पड़ी। बताया जा रहा है कि खराब मौसम के कारण हेलिकॉप्टर को आपात स्थिति में उतारना पड़ा। ममता जलपाइगुड़ी से बागडोगरा जा रही थीं। उन्हें हलकी चोट आई है और अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
एक दिन पहले ही ममता बनर्जी ने कूच बिहार में पंचायत चुनाव प्रचार का आगाज किया था और सीधे सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को अपने निशाने पर लिया था। कूच बिहार में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए बीएसएफ पर ‘भगवा खेमे के इशारे’ पर राज्य के सीमावर्ती इलाकों में मतदाताओं को डराने का आरोप लगाया था। उन्होंने पुलिस से बीएसएफ की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने को कहा था।
बीएसएफ द्वारा पिछले साल ग्रामीणों पर कथित गोलीबारी का जिक्र करते हुए बनर्जी ने कहा, ‘पुलिस ऐसे मामलों में प्राथमिकी दर्ज करेगी और कानून अपना काम करेगा। उन्होंने कहा कि कानून और व्यवस्था राज्य का विषय है” और केंद्र की इसमें कोई भूमिका नहीं है।
ममता ने कहा, “मुझे जानकारी मिली है कि बीएसएफ के कुछ अधिकारी सीमावर्ती इलाकों का दौरा कर रहे हैं, मतदाताओं को धमका रहे हैं और वोट न देने के लिए कह रहे हैं। मैं लोगों से कहूंगी कि वे डरें नहीं और निडर होकर चुनाव में भाग लें। उन्होंने इस चुनाव में जीत का दावा करते हुए कहा कि वे यह सुनिश्चित करेंगी कि इस बार चुनाव में कोई धांधली न हो पाए।‘‘
इस आरोप के बाद बीएसएफ की ओर से एक लिखित स्पष्टीकरण आया जिसमें उसने ममता के लगाए आरोपों को निराधार करार दिया। अभी तक राज्यपाल और हाइकोर्ट के साथ ममता बनर्जी की सरकार टकराव में थी। पहली बार केंद्रीय सैन्य बलों पर मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया है।
एक दिन पहले कूच बिहार में ही तृणमूल छात्र परिषद ने बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस को काले झंडे दिखाए और ‘आनंद बोस वापस जाओ’ के नारे लगाए थे। टीएमसी के बंगाल महासचिव कुणाल घोष ने इस पर कहा था कि राज्यपाल सीवी आनंद बोस भाजपा एजेंट की तरह काम करना जारी रखते हैं, तो उन्हें काले कपड़े और ‘आनंद बोस वापस जाओ’ जैसे नारों का सामना करना पड़ेगा।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पंचायत चुनाव में पार्टी के उम्मीदवारों के लिए कुछ जगहों पर खुद प्रचार करने का निर्णय लिया है। मुख्य विपक्षी दल बीजेपी और कांग्रेस ने इस पर चुटकी ली है। पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने तंजिया लहजे में कहा कि बारह साल बाद ममता बनर्जी पंचायत चुनाव प्रचार के लिए उतर रही हैं, बीजेपी के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है।
पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि, “ममता बनर्जी का 12 साल बाद पंचायत चुनाव के लिए प्रचार करना टीएमसी पार्टी की कमजोरी को दर्शाता है। उन्हें एहसास हो गया है कि अगर वह मैदान में नहीं आएंगी तो उनकी पार्टी का क्या होगा।”
गौरतलब है कि ममता बनर्जी की कूच बिहार में हुई सभा के ठीक बाद टीएमसी और भाजपा के दो गुटों में हिंसा हुई। बताया जा रहा है कि इसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई है और छह घायल हैं। जिसे मारा गया है वह टीएमसी के प्रत्याशी का पति है। इसके साथ ही पंचायत हिंसा में अब तक मारे गए लोगों की संख्या 11 हो चुकी है।
राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने पंचायत चुनाव हिंसा के मद्देनजर राज्य चुनाव आयुक्त राजीव सिन्हा को रविवार को राजभवन में बैठक के लिए बुलाया था। राज्यपाल इससे पहले दो बार सिन्हा को तलब कर चुके हैं और उनके नियुक्ति पत्र को भी लौटा चुके हैं जबकि उन्हीं की अनुमति से सिन्हा को चुनाव आयुक्त बनाया गया था। ममता बनर्जी ने राज्यपाल के इस कदम पर भी सवाल उठाया था।
सिन्हा को पंचायत चुनाव में नामांकन के दौरान हुई हिंसा को लेकर 17 जून को राजभवन बुलाया था, लेकिन सिन्हा ने नामांकन की जांच का हवाला देते हुए आने से मना कर दिया था। पहले भी उन्हें एक बार बुलाया गया, लेकिन काम का हवाला देकर सिन्हा ने राजभवन आने से मना कर दिया था।
राज्य में पंचायत चुनावों की अधिसूचना जारी होने के बाद से राजीव सिन्हा लगातार सुर्ख़ियों में बने हुए हैं। हाइकोर्ट और सुप्रीमकोर्ट से भी उन्हें चेतावनी मिल चुकी है।
शनिवार 24 जून को राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने एसईसी और बंगाल के मुख्य सचिव को निर्देश दिया था कि वे 48 घंटे के भीतर आद्रा शहर के टीएमसी नेता की हत्या के पीछे के अपराधी की गिरफ्तारी पर आवश्यक कार्रवाई करें। उन्होंने गुरुवार को मारे गए टीएमसी नेता धनंजय चौबे के परिवार से बात की और उन्हें आश्वासन दिया कि परिवार को न्याय मिलेगा और परिवार को 25000 रुपये की आर्थिक मदद भी दी।
आद्रा सिटी के तृणमूल अध्यक्ष धनंजय चौबे की बीते गुरुवार शाम पार्टी कार्यालय में गोली मारकर हत्या कर दी गई जिसके बाद इलाके में हड़कंप मच गया। हमलावरों की गोलीबारी में धनंजय के अंगरक्षक राज्य पुलिस कांस्टेबल शेखर दास भी घायल हो गए थे।
पश्चिम बंगाल में इस बार चुनावी हिंसा के मामले में कोलकाता हाइकोर्ट बहुत सख्त है। अदालत ने हिंसा और नामांकन में कथित गड़बड़ियों की जांच सीबीआइ को दे दी है और 7 जुलाई को रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।