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भारत में धनकुबेरों का फैलता राज और बढ़ती गैर-बराबरी: पिछले दस साल का हिसाब

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प्रतिष्ठित अर्थशास्‍त्री थॉमस पिकेटी ने भारत में गैर-बराबरी और अरबपतियों के फैलते राज पर एक रिपोर्ट जारी की है। वर्ल्‍ड इनीक्वालिटी लैब से जारी इस रिपोर्ट को पिकेटी के साथ नितिन कुमार भारती, लुकास चैन्सल और अनमोल सोमंची ने मिलकर लिखा है। पिछले दस वर्षों के दौरान किस तरह भारत धनकुबेरों के तंत्र में तब्‍दील होता गया है और यहां का मध्‍यवर्ग लगभग लापता होने के कगार पर आ चुका है, उसकी एक संक्षिप्‍त तथ्‍यात्‍मक तस्‍वीर फॉलो-अप स्‍टोरीज अपने पाठकों के लिए चुन कर प्रस्‍तुत कर रहा है

Poverty in India

गरीबी खत्म होने के झूठे दावे और हजार करोड़ का एक जश्‍न

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आम चुनाव से ठीक पहले सरकार द्वारा जारी किए गए उपभोग-व्‍यय के आंशिक आंकड़ों के आधार पर सुरजीत भल्‍ला करन भसीन ने जल्‍दबाजी में ब्रूकिंग्‍स इंस्टिट्यूशन की ओर से भारत में अत्‍यधिक गरीबी खत्‍म होने की मुनादी कर दी। नोटबंदी, जीएसटी और अंत में महामारी की मारी अधिकांश आबादी के बीच जहां एक शख्‍स अपने बेटे की प्री-वेडिंग पर हजार करोड़ खर्च करता है, वहां ये सरकारी आंकड़े दुर्गंध फैलाने से ज्‍यादा किसी काम के नहीं। अर्थशास्‍त्री अशोक मोदी की टिप्‍पणी

चंदे का धंधा: स्टेट बैंक ‘एक दिन के काम’ के लिए सुप्रीम कोर्ट से महीनों क्यों मांग रहा है?

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स्‍टेट बैंक ने सुप्रीम कोर्ट से इलेक्‍टोरल बॉन्‍ड का डेटा सार्वजनिक करने के लिए महीनों का समय मांग कर न सिर्फ अपनी मंशा पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि डिजिटल इंडिया के नारे पर भी बट्टा लगा दिया है। चूंकि बैंक की मांगी तारीख तक लोकसभा चुनाव संपन्‍न हो चुके होंगे और नई सरकार भी बन चुकी होगी, तो यह मामला उतना सीधा नहीं है। एसबीआइ के लाभकारी मालिकों से लेकर केंद्र सरकार और नरेंद्र मोदी तक सबकी जान सुप्रीम कोर्ट के आदेश में अटकी हुई है। डॉ. गोपाल कृष्‍ण का विश्‍लेषण

Fali S. Nariman

न्याय की अंतहीन प्रतीक्षा और एक न्यायविद का अधूरा प्रायश्चित

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अदालती फैसले मुकदमों का अंत नहीं होते। फैसलों के बरसों बाद तक लोग जजों और वकीलों के बारे में अपने-अपने फैसले सुनाते रहते हैं। जज और वकील तो अपनी पेशेवर भूमिका निभाकर और अपने हिस्‍से के सारे तमगे बंटोरकर एक दिन गुजर जाते हैं, लेकिन फिजाओं में उन हादसों के शिकार लोगों का आर्तनाद गूंजता रहता है जिन्‍हें नैतिकता को ताक पर रखकर इन्‍होंने दबाने का काम किया था। दिवंगत न्‍यायविद् फली एस. नरीमन पर डॉ. गोपाल कृष्‍ण का स्‍मृतिलेख

सुप्रीम कोर्ट में मेटाडेटा: एक मुकदमा, जो बदल सकता है भारत के लोगों की सामूहिक नियति

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लोकसभा चुनाव से पहले सुप्रीम कोर्ट में सात जजों की संविधान पीठ के सामने एक ऐसा मुकदमा आ रहा है जिस पर फैसले के निहितार्थ बहुत व्‍यापक हो सकते हैं। भाजपा सरकार द्वारा मनी बिल की शक्‍ल में वित्‍त विधेयकों को पारित करवाने के खिलाफ करीब दो दर्जन याचिकाओं पर यह फैसला अगले महीने आना है, जो आधार कानून, इलेक्‍टोरल बॉन्‍ड और हवाला कानून आदि का भविष्‍य तय करेगा। इनके बीच सबसे बड़ा और अहम मामला आधार संख्‍या का है, जिसके नाम पर भारत के लोगों का मेटाडेटा विदेशी ताकतों को ट्रांसफर किया जा रहा है।

चांद के पार आठ अरब डॉलर का बाजार, एक मसौदा कानून और निजी कंपनियों का इंतजार

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चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण के पहले और बाद में दो घटनाएं हुईं। अमेरिका यात्रा पर पिछले महीने प्रधानमंत्री ने आर्टेमिस संधि पर दस्‍तखत किए और चंद्रयान छूटने के ठीक दो दिन बाद निजी प्रक्षेपण कंपनियों को अंतरिक्ष में अपने लॉन्‍च वाहन या रॉकेट से उपग्रह छोड़ने पर जीएसटी भुगतान से मुक्‍त कर दिया गया। चंद्रयान पर जश्‍न के पीछे क्‍या अंतरिक्ष में बाजार लगाने की योजना है? आखिर 150 स्‍पेस स्‍टार्ट-अप किस चीज की बाट जोह रहे हैं? छह साल से लटके भारत के पहले राष्‍ट्रीय अंतरिक्ष कानून पर एक नजर

आगरा यूनिवर्सिटी पर्चा घोटाले में गिरफ्तारी की रहस्यमय परतें और एक कुलपति की कहानी

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मात्र बीस साल के शैक्षणिक करियर वाले विनय कुमार पाठक कानपुर की छत्रपति शाहूजी महाराज युनिवर्सिटी के कुलपति हैं। उनका बायोडाटा हालांकि इससे कहीं ज्‍यादा बड़ा है। वे लगातार 14 साल से अलग-अलग विश्वविद्यालयों के कुलपति हैं। आगरे में रहते हुए उन पर एसटीएफ और सीबीआइ की जांच बैठी। फिर प्रधानमंत्री से लेकर सरसंघचालक और राज्यपाल तक, सबको उन्होंने साधा। मात्र सात महीने में उनके ऊपर मुकदमा करवाने वाला व्यक्ति खुद भीतर हो गया। पाठक जी जांच के बावजूद ससम्मान कुलपति बने हुए हैं। विनय पाठक की रामकहानी सुना रहे हैं अमन गुप्ता

कृषि मंडियों पर कर्नाटक का फैसला और विपक्षी एकता के संयोजक के लिए एक सबक

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एपीएमसी कानून को रद्द करने वाला बिहार अकेला राज्‍य है। इसके मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार विपक्षी एकता के संयोजक हैं जो बैठक के लिए बेंगलुरू जा रहे हैं। कर्नाटक ने कृषि मंडियों की बहाली का विधेयक पिछले ही हफ्ते पेश किया है, जिसे भाजपा सरकार ने खत्‍म कर दिया था। एकता महज चुनावी रहेगी या उत्‍तर के एक राज्‍य का मुख्‍यमंत्री दक्षिण के दूसरे राज्‍य के फैसलों से कुछ सबक भी लेगा? बिहार में कृषि मंडियों के विनाश पर डॉ. गोपाल कृष्‍ण

हिंडेनबर्ग रिपोर्ट के बाद अदाणी के खिलाफ अमेरिका में जांच शुरू, निवेशकों से पूछताछ

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अदाणी के अमेरिकी निवेशकों से पूछताछ की यह खबर उस वक्‍त सामने आई जब राष्ट्रपति जो बाइडेन वाइट हाउस में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्‍वागत कर रहे थे। इस खबर के आलोक में अदाणी समूह के सभी 10 शेयरों में शुक्रवार को शुरुआती कारोबार में गिरावट आई, जिसमें प्रमुख अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड के शेयर 5 प्रतिशत तक गिर गए।

MSP: आंदोलन से भी नहीं खिला सूरजमुखी, मक्का-मूंग पर बढ़ रहा है गुस्सा

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हरियाणा और पंजाब में गेंहू के अलावा बाकी फसलों पर एमएसपी केवल दावे की बात है वरना हकीकत यह है कि लाभकारी मूल्‍य के लिए किसान दोनों राज्‍यों में तरस रहे हैं। आंदोलन कर के सूरजमुखी के दाम बढ़वाने की अपनी मांग मनवाने के बावजूद दस दिन हो गए और हालत जस की तस बनी हुई है। नए सिरे से आंदोलन परवान चढ़ रहा है