इस साल की शुरुआत में लगे आर्थिक झटके से उबरते हुए कारोबारी गौतम अदाणी का समूह लम्बे अंतराल के बाद एक नयी अधिग्रहण डील करने की कगार पर है। अदाणी समूह ऑनलाइन ट्रेन टिकट बुकिंग प्लेटफॉर्म को खरीदने की प्रक्रिया में है। यह सौदा ऐसे वक्त पर हो रहा है जब ओडिशा के बालेश्वर में 2 जून को हुए भयावह ट्रेन हादसे में मारे गए लोगों की चिता की राख सुलग ही रही है।
गौतम अदाणी ने बालेश्वर ट्रेन हादसे के बाद 4 जून को ‘बेहद व्यथित’ होकर एक ट्वीट किया था। उसमें उन्होंने बताया था कि ‘जिन मासूमों ने इस हादसे में अपने अभिभावकों को खोया है उनकी स्कूली शिक्षा की जिम्मेदारी अडाणी समूह उठाएगा।‘ इस फैसले पर अदाणी की काफी सराहना हुई थी, लेकिन कोई नहीं जानता था कि इस त्रासदी की आड़ में कोई व्यापारिक सौदा चल रहा था, जिसका खुलासा दो हफ्ते बाद ही हो जाएगा।
दिलचस्प है कि गौतम अदाणी ने इस डील की कोई सूचना अपनी ट्विटर पर नहीं दी है। उपलब्ध सूचना के मुताबिक अदाणी एंटरप्राइजेज की यूनिट, अदाणी डिजिटल लैब्स ने ट्रेनमैन को खरीदने के लिए उसकी मालिकाना कंपनी स्टार्क एंटरप्राइजेज के साथ शेयर खरीदने का करार किया है, जिसके तहत अदाणी डिजिटल ट्रेनमैन का 100 फीसदी अधिग्रहण करेगी।
कंपनी ने लेनदेन के मूल्य का खुलासा किए बिना शुक्रवार को यह घोषणा की। एक स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में कंपनी ने बताया कि उसने स्टार्क एंटरप्राइजेज, उसके फाउंडर और मौजूदा शेयरहोल्डर के साथ यह एग्रीमेंट साइन किया है। इस डील की फाइनेंशियल शर्तों की जानकारी को सार्वजनिक नहीं किया गया है।
अदाणी द्वारा अधिग्रहित ट्रेनमैन आइआरसीटीसी से अधिकृत एक टिकट बुकिंग प्लैटफॉर्म है जिसे स्टार्क एंटरप्राइज ऑपरेट करता है। इस प्लेटफॉर्म से बुकिंग के अलावा पीएनआर स्टेटस, कोच की पोजिशन, ट्रेन के चलने का लाइव स्टेटस और सीट की उपलब्धता जैसी जानकारी हासिल की जा सकती है। गुरुग्राम स्थित स्टार्क एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड (एसईपीएल) की कंपनी ट्रेनमैन आइआरसीटीसी द्वारा अधिकृत ऑनलाइन ट्रेन टिकट बुकिंग स्टार्टअप है। एसईपीएल की स्थापना आइआइटी रुड़की के ग्रेजुएट विनीत चिरानिया और करण कुमार ने की थी। कंपनी ने हाल ही में एकाधिक समूह के निवेशकों से तकरीबन 1 मिलियन डॉलर का फंड जुटाया है।
आइआरसीटीसी भारत सरकार के रेल मंत्रालय के अंतर्गत श्रेणी-1 की मिनी रत्न कंपनी है जिसमें प्रमोटर की शेयरधारिता 62 फीसदी के आसपास है और सरकारी हिस्सेदारी 37.6 फीसदी है। ऑनलाइन ट्रेन टिकट बुकिंग के मामले में आइआरसीटीसी का दबदबा है। ट्रेनमैन समेत कई अन्य प्राइवेट प्लेयर आइआरसीटीसी से ऑथराइजेशन लेकर ऑनलाइन ट्रेन टिकट बुक करने की सुविधा देते हैं। चूंकि अदाणी की कंपनी इस अधिग्रहण के बाद अब आइआरसीटीसी द्वारा ही अधिकृत होगी, लिहाजा इस डील को रेलवे के सेक्टर में अदाणी की शुरुआती घुसपैठ के रूप में देखा जा रहा है। इससे न सिर्फ आइआरसीटीसी द्वारा अधिकृत दूसरी ऑनलाइन ट्रेन टिकट बुकिंग कंपनियों को कड़ी प्रतिस्पर्धा मिलने वाली है बल्कि भविष्य में खुद आइआरसीटीसी के लिए खतरे पैदा हो सकते हैं।
केंद्र सरकार द्वारा तेजी से किए जा रहे एकाधिकारी निजीकरण की बदौलत अदाणी समूह देश भर में पहले से ही बंदरगाह से लेकर हवाई अड्डे तक प्रभावशाली मौजूदगी रखता है। एयरपोर्ट और बंदरगाह के अधिग्रहण के लिए लोन देने के मामले में अदाणी समूह पर सरकारी बैंकों का उदार वरदहस्त रहा है।
मसलन, मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इस साल मार्च में स्टेट बैंक ने अदाणी के नवी मुंबई हवाई अड्डे के लिए दिए 12,770 करोड़ रुपये के पूरे कर्ज को माफ कर दिया है। हिंडेनबर्ग रिपोर्ट में अदाणी समूह के अधिकाधिक लंबित क़र्ज को भी लेकर सवाल उठाए गए थे। उसके जवाब में भारतीय स्टेट बैंक और गौतम अदाणी के नेतृत्व वाले अदाणी समूह के शीर्ष ऋणदाताओं में से कहा कि वह समूह की ऋण सेवाक्षमता के बारे में चिंतित नहीं है।
साल की शुरुआत में शॉर्टसेलर फर्म हिंडेनबर्ग की विस्फोटक रिपोर्ट के कारण अदाणी के शेयरों में गिरावट आने पर भी अदाणी पोर्ट्स के शेयरों पर सबसे कम प्रभाव पड़ा था। अदाणी की बाकी कंपनियों की तुलना में इसकी गिरावट कम रही। अदाणी पोर्ट्स के शेयर 30 फीसदी तक गिरे, जो अदाणी की बाकी कंपनियों के शेयर में आई गिरावट से कम था।
जनवरी में हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट सामने आने के बाद अदाणी समूह ने नई कंपनियों को खरीदने की अपनी आक्रामक रणनीति टाल दी थी। इस लिहाज से ट्रेनमैन का अधिग्रहण अदाणी की पहली बड़ी डील होगी।
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24 जनवरी 2023 को अमेरिकी फर्म हिंडेनबर्ग ने अदाणी समूह को लेकर अपनी रिसर्च रिपोर्ट पब्लिश की थी। रिपोर्ट के आने से पहले अदाणी दुनिया के शीर्ष दस अरबपतियों की लिस्ट में चौथे पायदान पर मौजूद थे, लेकिन देखते ही देखते कुछ ही दिनों में वे अमीरों की लिस्ट में बहुत नीचे 37वें पायदान पर खिसक गए।
रिपोर्ट के आने के तुरंत बाद ही निवेशकों में हड़कंप मच गया था। दरअसल, हिंडेनबर्ग रिपोर्ट में अदाणी ग्रुप पर कर्ज और गौतम अदाणी की कंपनियों के शेयरों में हेरफेर समेत 88 गंभीर आरोप लगाए गए थे। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि कंपनियों के शेयरों का अवमूल्यन किया गया है। नतीजतन निवेशकों के मत पर रिपोर्ट आने के साथ ही बुरा असर हुआ और शेयर बाजार में लिस्टेड अदाणी की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई।
हिंडेनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि अदाणी ग्रुप की शेयर बाजार में लिस्टेड सात प्रमुख कंपनियां 85 फीसदी से अधिक ओवरवैल्यूड हैं। हिंडेनबर्ग के कथित दावे के मुताबिक अदाणी ग्रुप के शेयर 24 जनवरी से 24 फरवरी के बीच 85 फीसदी अधिक गिर गए। 24 जनवरी को रिपोर्ट पब्लिश होने के अगले कारोबारी दिन ही अदाणी ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अदाणी एंटरप्राइजेज से लेकर अदाणी ग्रीन तक के शेयर में भरी गिरावट दर्ज की गई। अदाणी टोटल गैस के शेयर का भाव 3891.75 रुपये था, जिसमें एक महीने के भीतर ही 80.68 फीसदी की गिरावट आ चुकी थी। इसके अलावा अदाणी ट्रांसमिशन और अदाणी ग्रीन के शेयर 85 फीसदी से ज्यादा टूट गए थे।
बीते साल सितंबर 2022 में गौतम अदाणी की कुल संपत्ति तेजी से बढ़ते हुए 150 अरब डॉलर पर जा पहुंची थी और वे दुनिया के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति बन गए थे। 24 जनवरी के ठीक पहले वे करीब 120 अरब डॉलर की नेटवर्थ के साथ चौथे सबसे अमीर व्यक्ति के तौर पर टॉप-10 अरबपतियों में शामिल थे।
हर दिन करीब 3000 करोड़ रुपये के नुकसान के साथ महीने बाद वे लिस्ट में गिरकर 37 नंबर पर पहुंच गए। 2023 में उनकी संपत्ति में 60 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली है। अदाणी समूह का बाजार पूंजीकरण भी घटते-घटते 100 अरब डॉलर के नीचे पहुंच गया था।
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हिंडेनबर्ग के असर के चलते लगातार हो रहे नुकसान के बीच अदाणी ग्रुप के हाथ से कई बड़ी डील निकल गईं। अदाणी समूह ने बिजनेस के विस्तार और अधिग्रहण योजनाओं को टाल दिया था। समूह ने कथित तौर पर पेट्रोकेमिकल्स में विस्तार करने और मुंद्रा में कोल-टू-पॉलीविनाइल क्लोराइड प्रोजेक्ट स्थापित करने को टाला था।
फरवरी में डीबी पावर की थर्मल पावर संपत्ति हासिल करने के लिए अदाणी समूह का 7,017 करोड़ रुपये का सौदा विफल हो गया क्योंकि लेनदेन को पूरा करने की समय-सीमा कई बार बढ़ा दी गई थी। अप्रैल में विमान रखरखाव, मरम्मत और ओवरहॉल (MRO) कंपनी एयरवर्क्स के समूह के प्रस्तावित अधिग्रहण में भी देरी हुई।
इन सौदों के नाकाम होने के बाद अदाणी समूह का यह पहला बड़ा सौदा है जो महीनों बाद बाजार में हलचल ला रहा है। सरकार और सरकारी बैंकों की मदद से हवा और पानी के परिवहन पर अदाणी का एकाधिकार बीते कुछ वर्षों में ही मुकम्मल हुआ है। अब अदाणी की नजर रेलवे पर है। रेल मंत्री के रूप में ममता बनर्जी के कार्यकाल में शुरू हुआ रेलवे का निजीकरण अदाणी के इस सौदे के साथ एकाधिकार के चरण में प्रवेश कर गया है।