‘ऐतिहासिक गलती’ एक है, बाकी तीन जगह ‘संजय सिंह’ ही लिखा है!

सोशल मीडिया पर जिस पत्र को ईडी का 'माफीनामा' कहा जा रहा है वह पत्र वास्‍तव में यह कह रहा है कि संजय सिंह ने नोटिस भेजकर गलती कर दी है और यह मामला पलट कर उनके खिलाफ भी जा सकता है।

दिल्‍ली के आबकारी घोटाले के सिलसिले में आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने दावा किया कि प्रवर्तन निदेशालय ने उन्‍हें पत्र लिखकर अपनी ‘ऐतिहासिक’ गलती मानी है कि उनका नाम चार्जशीट में असावधानी से चला गया। सिंह के इस दावे के बाद दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने सीधे केंद्र सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि ‘प्रधानमंत्री ऐसा देश की सबसे ईमानदार पार्टी को बदनाम करने के लिए कर रहे हैं’।

ईडी के वकील द्वारा संजय सिंह को भेजे गए पत्र का मजमून अपनी “असावधानीवश मुद्रण संबंधी/लिपिकीय त्रुटि” को मानते हुए संजय सिंह के कानूनी नोटिस और मीडिया में बयानबाजी को गैर-कानूनी ठहराता है और नोटिस को वापस लेने का अनुरोध करता है।   

ईडी के वकील जोहेब हुसैन द्वारा 29.04.23 को सांसद संजय सिंह के वकील मनिंदर सिंह बेदी भेजे गए पत्र में क्‍या लिखा है, उसे नीचे पूरा पढ़ा जा सकता है। यह अनुवाद शब्‍दश: है।


विषय: 22.04.2023 को दिनांकित कानूनी नोटिस का जवाब नोटिसी संख्‍या 2 श्री जोगेंदर, सहायक निदेशक, प्रवर्तन, प्रवर्तन भवन, डॉ. ए.पी.जे. अब्‍दुल कलाम रोड, नई दिल्‍ली, की ओर से- रजिस्‍टर्ड

  1. मुझे अपने मुवक्किल द्वारा 22.04.2023 को दिनांकित आपके कानूनी नोटिस का जवाब देने को निर्देशित किया गया है जिसमें वे नोटिसी संख्‍या 2 हैं।
  2. उपर्युक्‍त वर्णित विषय के संदर्भ में और नोटिसी संख्‍या 2 को उपलब्‍ध अधिकारों तथा दावों के प्रति पूर्वाग्रह के बगैर, यह स्‍पष्‍ट किया जाता है कि उक्‍त कानूनी नोटिस सामान्‍य रूप से अग्रणी जांच एजेंसी और विशिष्‍ट रूप से निदेशक, ईडी की छवि को कलंकित करने का एक प्रयास है, चूंकि यह प्रकरण माननीय विशिष्‍ट न्‍यायालय, पीएमएलए, नई दिल्‍ली में न्‍यायाधीन है, जहां निदेशालय द्वारा वादी की शिकायत में असावधानीवश मुद्रण संबंधी/लिपिकीय त्रुटि को दुरुस्‍त कर के संशोधित किए जाने की मांग की गई है। यह असावधानीवश मुद्रण संबंधी/लिपिकीय त्रुटि इस तथ्‍य के मद्देनजर सुसंगत कही जा सकती है कि प्रासंगिक पैराग्राफ में चार संदर्भों के बीच मात्र एक संदर्भ में एक मुद्रण संबंधी/लिपिकीय त्रुटि असावधानीवश चली गई है (मात्र एक जगह ‘राहुल सिंह’ के स्‍थान पर ‘संजय सिंह’ का जिक्र असावधानीवश आ गया है)। जैसे ही यह मुद्रण संबंधी/लिपिकीय त्रुटि संज्ञान में आई, 20.04.23 को तत्‍काल प्रभाव से सुधारात्‍मक उपाय के तहत संबंधित विशिष्‍ट न्‍यायालय, पीएमएलए, नई दिल्‍ली में नोटिसी संख्‍या 2 के द्वारा उपयुक्‍त आवेदन किया गया। सुधार के लिए उक्‍त आवेदन वर्तमान नोटिस की तारीख से काफी पहले का है, जो एजेंसी की विश्‍वसनीयता को प्रदर्शित करता है।
  3. उपर्युक्‍त के संदर्भ में, नोटिसी संख्‍या 2 के प्रति नोटिस के आधार पर जो आरोप और आक्षेप लगाए गए हैं, वे दुर्भावनापूर्ण, निराधार और अयोग्‍य हैं। यह जानते हुए कि प्रकरण विशिष्‍ट न्‍यायालय, पीएमएलए, नई दिल्‍ली के समक्ष न्‍यायाधीन है, मीडिया में सार्वजनिक वक्‍तव्‍य का दिया जाना स्‍वत: गैर-कानूनी है और इसलिए, आपसे अनुरोध है कि आगे से कोई भी बयानबाजी/ट्रायल मीडिया में न करें और अपने कानूनी नोटिस को वापस लें।

अरविन्द केजरीवाल ने पूछा है कि “क्या किसी का नाम चार्जशीट में गलती से भी डाला जाता है?” यह सवाल ईडी के वकील के जवाब से इसलिए असंगत है क्योंकि जिस गलती की बात कही गई है वह जान-बूझ कर की गई नहीं है।

ईडी के पत्र से दो बातें साफ हैं। पहला, कि चार्जशीट में चार जगह जहां ‘संजय सिंह’ का नाम आया है, केवल एक जगह वह गलती से चला गया है जिसे ईडी के मुताबिक ठीक करने के लिए दिया गया 20 अप्रैल 2023 को आवेदन संजय सिंह द्वारा ईडी को 22 अप्रैल 2023 को भेजे गए कानूनी नोटिस से दो दिन पहले का है। यानी तीन जगहों पर अब भी संजय सिंह का नाम यथावत है।

दूसरी बात यह साफ है कि संजय के कानूनी नोटिस को ही ईडी ने गैर-कानूनी कृत्‍य माना है क्‍योंकि प्रकरण अदालत के समक्ष लंबित है। संजय सिंह के मीडिया में बयान को भी इसी श्रेणी रखा गया है।

तीसरी बात जो शुरू में यह पत्र कहता है, सामान्‍य तौर पर ईडी और विशेष तौर पर इसके निदेशक के प्रति संजय सिंह का नोटिस मानहानिकारक है।


ED का संजय सिंह को भेजा पत्र

सोशल मीडिया पर जिस पत्र को ईडी का ‘माफीनामा’ कहा जा रहा है वह पत्र वास्‍तव में यह कह रहा है कि संजय सिंह ने नोटिस भेजकर गलती कर दी है और यह मामला पलट कर उनके खिलाफ भी जा सकता है।

संभव है इसीलिए आनन-फानन में ‘माफी’ की बात का प्रचार करने के साथ संजय सिंह ने भारत सरकार के वित्‍त सचिव को पत्र लिखकर मांग कर डाली कि ईडी के निदेशक और सहायक निदेशक को दंडित किया जाए। साथ में संजय सिंह ने ईडी को एक और नोटिस भेजकर खुली और सार्वजनिक माफी मांगने को कहा है। उनका मानना है कि चार्जशीट में उनका नाम गलती से नहीं चला गया, जान बूझ कर ऐसा किया गया है।  

इस प्रकरण में ईडी को लगता है कि संजय सिंह ने उसे अपने कानूनी नोटिस से कलंकित किया है। उधर संजय सिंह को लगता है कि ईडी ने जान बूझ के उन्‍हें बदनाम किया है।

इस संदर्भ में यह जानना जरूरी है कि जिस व्‍यक्ति राहुल सिंह की जगह संजय सिंह का नाम असावधानीवश चले जाने की बात ईडी कह रहा है, वह दिल्‍ली के पूर्व आबकारी आयुक्‍त हैं। जिस जगह चार्जशीट में असावधानी से हुई गलती की बात ईडी कह रहा है, वह पन्ना दावे के साथ ट्विटर पर घूम रहा है। इसे नीचे देखा जा सकता है। फॉलो अप स्टोरीज़ इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता है।



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