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तीन साल बाद भूलगढ़ी: हाथरस की वह घटना, जिसने लोकतंत्र को नाकाम कर दिया

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आज हाथरस गैंगरेप कांड को तीन साल हो गए। तकनीकी रूप से साबित किया जा चुका है कि यह रेप कांड नहीं था। हत्‍या की मंशा भी नहीं थी। केवल एक आदमी जेल में है, तीन बाहर। परिवार कहीं ज्‍यादा सघन कैद में, जिसका घर सीआरपीएफ की छावनी बन चुका है। गांव से बाहर निकलने की छटपटाहट अदालतों में नाकाम हो चुकी है, हाथरस से शुरू हुई बंटवारे की राजनीति कामयाब। एक जीता-जागता गांव कैसे तीन साल में मरघट बन गया, बता रही हैं गौरव गुलमोहर के साथ भूलगढ़ी से लौटकर नीतू सिंह इस फॉलो-अप स्‍टोरी में

दिल्ली की बाढ़ में डूब गई IIT के एक और छात्र की ‘संस्थागत हत्या’

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रोहित वेमुला की खुदकुशी के सात साल भी कुछ नहीं बदला है। एक गुबार उठा था 2016 में, फिर सब कुछ वापस वैसा ही हो गया। आइआइटी के परिसरों में 33वें छात्र की मौत बीती 8 जुलाई को हुई। हफ्ता भर बीत चुका है, लेकिन अब तक किसी ने आयुष की मौत की सुध नहीं ली है। दिल्‍ली की बाढ़ पर खबरों की बाढ़ में ये खबर डूब चुकी है।

BK-5: बिना सुनवाई, बिना चार्जशीट, एक अनंत कैद के पांच साल

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तीन साल पहले जिस बंबई हाइकोर्ट ने गौतम नवलखा के चश्‍मे के मामले में इंसानियत का हवाला दिया था उसी ने वरवरा राव को जमानत पर मोतियाबिंद का ऑपरेशन करवाने के लिए हैदराबाद जाने से रोक दिया। भीमा कोरेगांव हिंसा के मामले में कैद सोलह में से पांच की गिरफ्तारी को पांच साल बीते 6 जून को पूरा हो गया। सुनवाई शुरू होने के अब तक कोई संकेत नहीं हैं। यह कैद अनंत होती जा रही है

शौचालय: एक हत्यारी कथा

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मध्य प्रदेश के शिवपुरी ज़िले के एक गाँव भावखेड़ी में 25 सितम्बर को दो बच्चों की नृशंस हत्या कर दी गयी थी। मीडिया में कारण यह आया था कि उन्हें खुले में शौच करते देख उसी गाँव व्यक्ति को गुस्सा आ गया और उसने बच्चों को मार डाला। सीपीआइ का एक छह सदस्यीय जांच दल मामले की तहक़ीक़ात के लिए 1अक्टूबर 2019 को शिवपुरी और भावखेड़ी गया था। ग्रामीणों और पीड़ित परिवार से तथा अन्य कर्मचारियों, शिक्षकों व बच्चों से बात करने पर जो तस्वीर उभरी, उसके आधार पर दो हत्याओं की पूरी कहानी सामने आयी है