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आंकड़ों का राष्ट्रवाद: डेटा सुरक्षा और निजता की चिंताओं के बीच गांधी के सबक

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संसद का मानसून सत्र शुरू होने से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संक्षिप्‍त संबोधन में कैबिनेट से पारित हो चुके डेटा प्रोटेक्‍शन बिल 2023 का नाम लिया, जिसे इस सत्र में सदन के पटल पर रखा जाना है। ऐसा लगता है कि सरकार नागरिकों के डेटा और निजता को लेकर काफी संवेदनशील है, लेकिन कहानी ठीक उलटी है। ऐसे ही एक बिल डीएनए प्रौद्योगिकी विनियमन विधेयक, 2019 को इस सत्र में वापस लेने के लिए सूचीबद्ध किया गया है। डेटा, राष्‍ट्रवाद, नागरिकों की जासूसी और निजता के रिश्‍तों को विस्तार से समझा रहे हैं डॉ. गोपाल कृष्‍ण

बेनामी और बेहिसाब कॉरपोरेट चंदे के खिलाफ चार दशक पुराने संवैधानिक विवेक की साझा लड़ाई

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अगस्‍त 1997 में नीतीश कुमार ने लोकसभा में एक भाषण दिया था। फरवरी 2023 में राहुल गांधी ने एक भाषण दिया। ढाई दशक में संदर्भ बदल गए, लेकिन मुद्दा एक ही रहा- चुनावों की बेनामी कॉरपोरेट फंडिंग। नीतीश के सुझाव को भाजपा ने कभी नहीं माना। राहुल की जब बारी आई, तो सदन के माइक ही बंद कर दिए गए। पटना में हो रही विपक्षी एकता बैठक के बहाने चुनावों की राजकीय फंडिंग के हक में चार दशक के संसदीय विवेक पर बात कर रहे हैं डॉ. गोपाल कृष्‍ण

नौ गुना चुनावी बॉन्ड की बारिश यानि कर्नाटक का चुनाव फिर सबसे महंगा?

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पिछले चुनाव में अगर दस हजार करोड़ का प्रचार खर्च आया था जो रिकॉर्ड था, तो अबकी नौ गुना ज्‍यादा बॉन्‍डों की बिक्री के साथ कुल चुनावी खर्च कायदे से एक लाख करोड़ के आसपास पहुंच जाना चाहिए, हालांकि यह गणित इतना सीधा नहीं है