Supreme Court

बदलाव के सुराग : केवल एक दंगा कैसे दस साल के भीतर भाईचारे का पलड़ा पलट देता है

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मुजफ्फरनगर में दस साल पहले दंगा हुआ था। सितंबर 2013 का महीना था। तब यूपी में सरकार भाजपा की नहीं थी। कमीशन बना, रिपोर्ट आई, समाजवादी सरकार बरी हो गई। समाज ने धीरे-धीरे खुद को संभाला। फिर हाइवे बने, किसान आंदोलित हुए, यूट्यूब चैनल पनपने लगे। दस साल में दुनिया इतनी बदल गई कि एक मामूली स्‍कूल की छोटी सी घटना तक सुप्रीम कोर्ट में पहुंचने लगी। मुजफ्फरनगर के गांव-कस्‍बों में लोग इस बदलाव को कैसे देख रहे हैं? क्‍या सोच रहे हैं? मुजफ्फरनगर से लौटकर अभिषेक श्रीवास्‍तव की मंजरकशी

मणिपुर: ‘राजकीय हिंसा’ पर बहस के लिए SC ‘सही मंच नहीं’, मीडिया में बोलने वालों पर FIR

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आज सुप्रीम कोर्ट ने एक सुनवाई में मणिपुर की हिंसा से अपना पल्‍ला पूरी तरह झाड़ लिया और इसे राज्‍य सरकार का मसला करार दिया। मणिपुर के विभिन्‍न समूहों की याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्‍य न्‍यायाधीश चंद्रचूड़ और और पीएस नरसिम्‍हा की पीठ ने साफ कहा कि वह राज्‍य में कानून व्‍यवस्‍था का मसला अपने हाथ में नहीं सकती, ज्‍यादा से ज्‍यादा अधिकारियों को हालात बेहतर करने के सुझाव दे सकती है।

प. बंगाल: सुप्रीम कोर्ट में याचिका खारिज, तृणमूल ने कहा- यूएन से शांति सेना भी बुला लो!

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पंचायत चुनाव में केंद्रीय बलों की तैनाती के संबंध में सुप्रीम कोर्ट से पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका खारिज होने के बाद तृणमूल कांग्रेस ने इसे विपक्ष की साजिश करार दिया है जबकि भाजपा ने इसे ममता सरकार की नैतिक हार बताया है।

सेबी की जांच के पहले ही सुप्रीम कोर्ट की कमेटी ने अदाणी को क्लीन चिट कैसे दे दी?

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सेबी ने सुप्रीम कोर्ट से हलफनामे में कहा था कि 2016 से उसके द्वारा अदाणी समूह की किसी भी कंपनी की जांच नहीं की जा रही थी। जब जांच ही नहीं हो रही थी, तो सुप्रीम कोर्ट की कमेटी की रिपोर्ट में सेबी पाक साफ कैसे निकल आई

‘नबाम रेबिया’ का मुकदमा और भुला दी गई एक मौत

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सात साल बाद जिस फैसले की समीक्षा सुप्रीम कोर्ट की उच्‍च पीठ से अभी होनी बाकी है, उसने नबाम रेबिया का नाम तो न्‍यायिक इतिहास में दर्ज कर दिया लेकिन कलिखो पुल को हमेशा के लिए मिटा दिया