मणिपुर: ‘राजकीय हिंसा’ पर बहस के लिए SC ‘सही मंच नहीं’, मीडिया में बोलने वालों पर FIR

आज सुप्रीम कोर्ट ने एक सुनवाई में मणिपुर की हिंसा से अपना पल्‍ला पूरी तरह झाड़ लिया और इसे राज्‍य सरकार का मसला करार दिया। मणिपुर के विभिन्‍न समूहों की याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्‍य न्‍यायाधीश चंद्रचूड़ और और पीएस नरसिम्‍हा की पीठ ने साफ कहा कि वह राज्‍य में कानून व्‍यवस्‍था का मसला अपने हाथ में नहीं सकती, ज्‍यादा से ज्‍यादा अधिकारियों को हालात बेहतर करने के सुझाव दे सकती है।

मणिपुर में जातीय हिंसा को दो महीने से ज्‍यादा हो चुके हैं। वहां के हालात का जायजा लेने के लिए दिल्‍ली से एक महिला संगठन एनएफआइडब्‍ल्‍यू की टीम वहां गई थी और जुलाई के पहले हफ्ते में उसने प्रेस कॉन्‍फ्रेंस कर के मणिपुर की बिरेन सिंह सरकार को नैतिक रूप से 3 मई की हिंसा का दोषी ठहराया था। इस टीम के तीन सदस्‍यों पर इम्‍फाल में एफआइआर दर्ज कर ली गई है। साथ ही कुकी समुदाय के तीन बुद्धिजीवियों के खिलाफ भी मीडिया में इंटरव्‍यू देने के आरोप में मुकदमे हुए हैं।

इन मुकदमों के बीच आज सुप्रीम कोर्ट ने एक सुनवाई में मणिपुर की हिंसा से अपना पल्‍ला पूरी तरह झाड़ लिया और इसे राज्‍य सरकार का मसला करार दिया। मणिपुर के विभिन्‍न समूहों की याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्‍य न्‍यायाधीश चंद्रचूड़ और और पीएस नरसिम्‍हा की पीठ ने साफ कहा कि वह राज्‍य में कानून व्‍यवस्‍था का मसला अपने हाथ में नहीं सकती, ज्‍यादा से ज्‍यादा अधिकारियों को हालात बेहतर करने के सुझाव दे सकती है। बीती 3 जुलाई को अदालत ने मणिपुर सरकार से हिंसा पर ताजा स्‍टेटस रिपोर्ट मंगवाई थी।     

कुकी समुदाय की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता कॉलिन गोजाल्‍वेस का जवाब देते हुए पीठ ने कहा कि कानून व्‍यवस्‍था को लागू करना चुनी हुई सरकार का काम है, सुप्रीम कोर्ट का नहीं। गोंजाल्‍वेस ने आरोप लगाया कि मणिपुर की सरकार उन सशस्‍त्र समूहों को समर्थन देकर हिंसा की आग में घी डाल रही है जो यूएपीए कानून के तहत पाबंद हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि ऐसे मामलों को उठाने के लिए वह सही मंच नहीं है। कोर्ट ने कहा कि इसके बजाय याचिकाकर्ता सकारात्‍मक सुझाव दें जिससे मौजूदा संकट को संबोधित किया जा सके।


मणिपुर में NFIW की राष्ट्रीय महासचिव ऐनी राजा पीड़ित महिलाओं से मिलते हुए

जो बात कॉलिन गोंजाल्‍वेस ने आज कोर्ट में कही, वही बात नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन विमेन (एनएफआइडब्‍लू) के मंच से उसकी महासचिव ऐनी राजा, राष्‍ट्रीय सचिव निशा सिद्धू और अधिवक्‍ता दीक्षा द्विवेदी ने फैक्‍ट-फाइंडिंग के बाद इम्‍फाल की अपनी प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में कही थी। इस टीम ने 3 मई की घटना को राज्‍य-प्रायोजित हिंसा और दंगा करार दिया था, जिसके बाद से लगातार राज्‍य जल रहा है और कम से कम 150 लोगों की जान जा चुकी है।

विडम्‍बना है कि सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक राजकीय हिंसा की बात करने के लिए अदालत सही मंच नहीं है जबकि एक राष्‍ट्रीय महिला संगठन की अनधिकारिक फैक्‍ट-फाइंडिंग के बाद प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में इस बात को कहने पर एफआइआर हो जाती है।

ऐनी राजा, सिद्धू और द्विवेदी के ऊपर 8 जुलाई को इम्‍फाल पुलिस स्‍टेशन में आइपीसी की धाराओं 121ए, 124, 153ए, 153बी, 499, 504, 505(2) और 34 के अंतर्गत मुकदमा कायम किया गया है। उन पर आरोप है कि उन्‍होंने मुख्‍यमंत्री के इस्‍तीफे के खिलाफ मीरा पाइबिस नाम की महिला के विरोध को ‘सुनियोजित नाटक’ बोलकर उसका अपमान किया है। इसके अलावा दंगों को ‘राज्‍य प्रायोजित हिंसा’ करार देने का भी उन पर आरोप है।

एल. लिबेन सिंह नाम के एक व्‍यक्ति ने यह एफआइआर दर्ज कराई है।

मणिपुर: दिन पचास पार, मौतें सौ पार, प्रधानमंत्री सीमापार

इसी तरह एक अन्‍य व्‍यक्ति द्वारा दो कुकी बुद्धिजीवियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है, जिस पर इम्‍फाल ईस्‍ट की मुख्‍य न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेट की अदालत में सुनवाई चल रही है। आरोपी कुकी विमेन्‍स फोरम की संयोजक मेरी ग्रेस जू और कुकी पीपुल्‍स अलायंस (केपीए) के महासचिव विल्‍सन एल. हांगशिंग हैं। केपीए बाहर से मणिपुर सरकार का समर्थन करता है। एक अन्‍य शिकायत इसी अदालत में हैदराबाद युनिवर्सिटी में राजनीतिशास्‍त्र के विभागाध्‍यक्ष प्रोफेसर खाम खान सुआंग हाउसिंग के ऊपर हुआ है। ये भी कुकी समुदाय से आते हैं।

तीनों मुकदमे पिछले महीने मीडिया में दिए इंटरव्‍यू के बाद हुए हैं। इन तीनों ने हाल ही द वायर समाचार पोर्टल के लिए पत्रकार करण थापर को साक्षात्‍कार दिए थे। जू और हांगशिंग के केस में 28 और 30 जून को दो सुनवाई हो चुकी है। अगली सुनवाई 24 जुलाई को होनी है। इनके मामले में शिकायतकर्ता का नाम लोरेम्‍बाम चा समरेंद्रो है। दिलचस्‍प है कि दोनों को कोर्ट की तरफ से अब तक कोई लिखित समन नहीं गया है। हांगशिंग का इम्‍फाल स्थित घर जला दिया गया था, जिसके बाद वे 9 मई को बचकर किसी तरह बाहर निकले।   

हाउसिंग के समर्थन में उनके विभाग सहित छात्र संगठनों एसएफआइ और आइसा का वक्‍तव्‍य आया है। हाउसिंग ने अपने ट्वीट में लिखा है:

एनएफआइडब्‍ल्‍यू के कार्यकर्ताओं के ऊपर हुई एफआइआर का भी विरोध हो रहा है। पीपुल्‍स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) ने आज जारी एक बयान में ऐनी राजा, द्धिू और द्विवेदी पर हुई एफआइआर की निंदा करते हुए उसे वापस लेने की अपील की है। साथ ही प्रोफेसर हाउसिंग के खिलाफ दर्ज मुकदमा भी समाप्‍त करने की अपील की गई है।

इस संबंध में एक निंदा बयान पर दस्‍तखत भी इकट्ठे किए जा रहे हैं, जिसे यहां देखा जा सकता है।

महिला संगठन ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक विमेन्‍स एसोसिएशन (एडवा) ने भी आज जारी एक बयान में एनएफआइडब्‍ल्‍यू की कार्यकर्ताओं पर एफआइआर का विरोध करते हुए इसे तत्‍काल वापस लेने को कहा है।  


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