Uttar Pradesh

A view of Saryu river in Ayodhya from Ghats

रामराज में नौका विहार : चार माह बाद नई अयोध्या का एक ताज़ा सफरनामा

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इस आम चुनाव में राम मंदिर यदि वाकई कोई मुद्दा था, तो आज उसको भुनाये जाने की अंतिम तारीख है। आज अयोध्‍या के लोग वोट डाल रहे हैं। बरसों के संघर्ष के बाद भगवान राम पुनर्वास हुआ तो, तो रामाधार का आधार ही छिन गया है और वह वनवास पर चला गया है। 2024 की अयोध्‍या इंसान की सामूहिक विडम्‍बनाओं का नाम है, ऐसा यहां घूमते हुए प्रतीत होता है। राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्‍ठा के चार महीने बाद सफरनामे की शक्‍ल में नीतू सिंह की फॉलो-अप रपट

Demand for Seperate Bundelkhand sent to PM Modi written by blood

क्या राजनीतिक दलों ने अलग बुंदेलखंड की मांग को इतिहास के कूड़ेदान में डाल दिया?

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बसपा की मुखिया मायावती ने 14 अप्रैल को झांसी में बरसों बाद अलग बुंदेलखंड राज्‍य का मुद्दा एक बार फिर से जिंदा कर दिया। उससे पहले उन्‍होंने बुंदेलखंड की चार सीटों पर उम्‍मीदवार भी बहुत सोच-समझ कर उतारे थे। भाजपा के मौजूदा सांसदों से बुंदेली मतदाताओं का असंतोष और अलग बुंदेलखंड की ताजी हवा क्‍या उसके जातिगत समीकरण को हिलाने का माद्दा रखती है? बड़ा सवाल यह है सत्‍तर साल पुरानी अलग बुंदेलखंड राज्‍य की मांग में अब भी कुछ बचा है या उसे राजनीतिक वर्ग ने पूरी तरह भुला दिया? हमीरपुर से अमन गुप्‍ता की पड़ताल

यूपी में खबरनवीसी: सच लिखने का डर और प्रिय बोलने का दबाव 2023 में राजाज्ञा बन गया

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उत्‍तर प्रदेश में पत्रकारिता पहले से ही कठिन थी। अब लगभग असंभव सी हो गई है। बीते एक साल के दौरान ‘नकारात्‍मक’ खबरें न लिखने के सरकारी फरमान के बाद पत्रकारों के ऊपर जम कर मुकदमे हुए हैं। छोटे गांव-कस्‍बों में दबंगों और माफिया का आतंक अलग से है। विडम्‍बना यह है कि रामराज्‍य लाने की तैयारियों में व्‍यस्‍त मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने रामनाथ गोयनका के चरणों में फूल अर्पित कर के सच को पाबंद करने का काम किया है। लखनऊ से असद रिज़वी की रिपोर्ट

एक अदद सिंचाई बांध की राह देखते कनकपुरी के किसान चौधरी रघुवीर सिंह और उनके भाई

रूहेलखण्ड: पहले किसानों के सब्र का बांध टूटेगा या सरकार पक्का बांध बना कर देगी?

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यह उत्तर प्रदेश में बरेली के किसानों का जज्बा है कि वे अपने हाथों और जेब के बल पर सात साल से कच्चा बांध बनाकर खेती को बचाए हुए हैं वरना इस साल दस महीने में सात किसान यहां खुदकुशी कर चुके हैं जबकि सरकारी कागजात में बरेली मंडल कृषि निवेश और विकास की रैंकिंग में अव्वल है। सिंचाई के लिए सौ साल से एक बांध का इंतजार कर रहे यूपी के डेढ़ सौ गांवों की कहानी सुना रहे हैं शिवम भारद्वाज

योगी सरकार ने साल भर पहले मदरसों का सर्वे क्या केवल दुष्प्रचार की मंशा से किया था?

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आम चुनाव के करीब आते ही साम्‍प्रदायिक ध्रुवीकरण की तेज होती कोशिशों के बीच भाजपा के लिए मदरसे अहम चुनावी औजार बन गए हैं। कर्नाटक से लेकर हाल में संपन्‍न हुए राजस्‍थान चुनाव तक मदरसों का भाजपा के प्रचार में जिक्र आया। पिछले साल यूपी की सत्‍ता में लौटते ही योगी आदित्‍यनाथ की सरकार ने मदरसों का सर्वे करवाया था। साल भर बाद भी उसका अता-पता नहीं है। लखनऊ से असद रिज़वी की फॉलो-अप रिपोर्ट

बांदा: दलित औरत के बलात्कार को हादसा बताकर अपराधियों को बचा रही है पुलिस?

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औरतों से बलात्‍कार के बाद उनका अंग-भंग करने का चलन इधर बीच बहुत तेजी से बढ़ा है। शहरों से शुरू हुआ यह सिलसिला अब गांवों तक पहुंच चुका है। पिछले महीने बांदा में एक दलित औरत के साथ सामूहिक बलात्‍कार के बाद उसका सिर और हाथ काट दिया गया था। आरोपित भारतीय जनता पार्टी से संबद्ध तीन सवर्ण पुरुष थे। पुलिस की जांच में इसे हादसा बता दिया गया। आंदोलन के दबाव में महज एक गिरफ्तारी हुई, लेकिन धाराएं हलकी कर दी गईं। पतौरा गांव में 31 अक्‍टूबर को हुई जघन्‍य घटना की अविकल फैक्‍ट फाइंडिंग रिपोर्ट