मध्य प्रदेश: एक यात्रा के बहाने श्रम, प्रेम और ज्ञान की साझा संस्कृति के जिंदा होने की शिनाख्त
byएक धार्मिक राजतंत्र की शक्ल लेते इस राष्ट्र में साझा संस्कृति को बचाने की चिंताएं तो सर्वत्र हैं, लेकिन प्रयास उतने ही कम हैं। इस जटिल परिदृश्य में श्रम की महत्ता, ज्ञान की आवश्यकता और प्रेम की अनिवार्यता को आपस में कैसे पिरोया जाए, इस पर एक प्रयोग आजकल ‘ढाई आखर प्रेम के’ नाम के सांस्कृतिक जत्थे के माध्यम से चल रहा है। यह जत्था मध्य प्रदेश पहुंचकर कुछ कारणों से खास बन गया, आगे के लिए नजीर बन गया। समूची यात्रा में आयोजक, भागीदार और दस्तावेजकार के रूप में निरंतर शामिल रहे विनीत तिवारी का संस्मरणात्मक रिपोर्ताज