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आर्थिक बदलाव कैसे धार्मिक-जातीय दंगे में बदल जाते हैं?

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ऊपरी तौर से देखने पर भले लगे कि समाज में होने वाली हिंसा, टकरावों, संघर्षों, आंदोलनों और दंगों के पीछे राजनीतिक पार्टियों की सत्तालोलुपता और धार्मिक कट्टरपंथियों की महत्वाकांक्षा की भूमिका है, लेकिन मामला कुछ और ही होता है। डेढ़ सौ साल का आधुनिक इतिहास इसकी गवाही देता है। हिंसा और दंगे के आर्थिक इतिहास को खंगाल रहे हैं अरुण सिंह

भारत का पत्रकार मानवाधिकार कार्यकर्ता कैसे बना?

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इस प्रेस स्‍वतंत्रता दिवस पर युनेस्‍को की थीम में एक अदृश्‍य सबक छुपा है, कि अब समुदाय, पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता के बीच अंतर बरतने का वक्‍त जा चुका

कोरोनाकाल में गणित के सामने दण्डवत् जगत

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जिन एप्लाइड मैथमेटीशियन को मैथ वाले कमतर मानते थे और कहा करते थे कि यह भी कोई मैथ जानते हैं जी! उनकी आज दुनिया भर में पूछ हो रही है. हर तरफ मैथेमेटिकल मॉडलिंग का शोर है. दुनिया विश्वयुद्ध के बाद पहली बार इस तरह से गणित के सामने दण्डवत हुई है.