Gandhi

Jansuraj hoarding in Patna

प्रशांत किशोर की ‘जन सुराज’: गांधी के नाम पर एक और संयोग या संघ का अगला प्रयोग?

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बारह साल पहले गांधी का नाम लेकर आम आदमी के नाम पर दिल्‍ली में एक राजनीतिक पार्टी बनी थी। अबकी गांधी जयंती पर पटना में जन के नाम पर एक और पार्टी बनी है। आम आदमी पार्टी और जन सुराज दोनों के मुखिया देश में नरेंद्र मोदी के राजनीतिक उदय की न सिर्फ समानांतर पैदाइश दिखते हैं, बल्कि दोनों की विचारधारा से लेकर कार्यशैली तक में काफी समानताएं हैं। बिहार असेंबली चुनाव के ठीक पहले जन सुराज के बनने को वहां के लोग कैसे देख रहे हैं? क्‍या यह नई पार्टी कथित राजनीतिक वैक्‍युम में कोई विकल्‍प दे पाएगी? दो अक्‍टूबर को पटना में जन सुराज के अधिवेशन से लौटकर विष्‍णु नारायण की विस्‍तृत रिपोर्ट

Dhai Akhar team reaches Kim

ये वो गुजरात नहीं है जिसे कभी हिन्दू राष्ट्र की प्रयोगशाला कहा गया था…

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मध्‍य प्रदेश में अपना खास मुकाम हासिल करने के बाद ‘ढाई आखर प्रेम के’ नामक सांस्‍कृतिक यात्रा जब गुजरात पहुंची तो यात्रियों के मन में संदेह, भय और उत्‍तेजना मिश्रित भाव था। साबरमती से शुरू होकर जत्‍था जैसे-जैसे आगे बढ़ता गया, मन में एक नया सवाल घुमड़ता रहा कि ये तो 2002 वाला गुजरात नहीं है और शायद वैसा बनाया भी नहीं जा सकता, जैसी इसकी छवि है। समूची यात्रा में आयोजक, भागीदार और दस्‍तावेजकार के रूप में निरंतर शामिल रहे विनीत तिवारी का संस्‍मरणात्‍मक रिपोर्ताज

आंकड़ों का राष्ट्रवाद: डेटा सुरक्षा और निजता की चिंताओं के बीच गांधी के सबक

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संसद का मानसून सत्र शुरू होने से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संक्षिप्‍त संबोधन में कैबिनेट से पारित हो चुके डेटा प्रोटेक्‍शन बिल 2023 का नाम लिया, जिसे इस सत्र में सदन के पटल पर रखा जाना है। ऐसा लगता है कि सरकार नागरिकों के डेटा और निजता को लेकर काफी संवेदनशील है, लेकिन कहानी ठीक उलटी है। ऐसे ही एक बिल डीएनए प्रौद्योगिकी विनियमन विधेयक, 2019 को इस सत्र में वापस लेने के लिए सूचीबद्ध किया गया है। डेटा, राष्‍ट्रवाद, नागरिकों की जासूसी और निजता के रिश्‍तों को विस्तार से समझा रहे हैं डॉ. गोपाल कृष्‍ण

बनारस: नहीं मिले सर्व सेवा संघ के लोगों से मोदी, ज्ञापन गंगा के हवाले, केस सुप्रीम कोर्ट के

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बनारस में सर्व सेवा संघ के ऊपर भाजपा की पहली सरकार के समय से जारी कब्‍जे की कोशिशें इस बार रंगत ला रही हैं। हाइकोर्ट ने गांधीवादियों की याचिका ठुकरा दी है। प्रशासन और रेलवे चौकस हैं। परिसर खाली करने का नोटिस चिपका हुआ है। यह सब कुछ स्‍थानीय सांसद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्‍ट के नाम पर किया जा रहा है जिसमें विनोबा भावे और जयप्रकाश नारायण को जालसाज ठहरा दिया गया है