क्या राजनीतिक दलों ने अलग बुंदेलखंड की मांग को इतिहास के कूड़ेदान में डाल दिया?
byबसपा की मुखिया मायावती ने 14 अप्रैल को झांसी में बरसों बाद अलग बुंदेलखंड राज्य का मुद्दा एक बार फिर से जिंदा कर दिया। उससे पहले उन्होंने बुंदेलखंड की चार सीटों पर उम्मीदवार भी बहुत सोच-समझ कर उतारे थे। भाजपा के मौजूदा सांसदों से बुंदेली मतदाताओं का असंतोष और अलग बुंदेलखंड की ताजी हवा क्या उसके जातिगत समीकरण को हिलाने का माद्दा रखती है? बड़ा सवाल यह है सत्तर साल पुरानी अलग बुंदेलखंड राज्य की मांग में अब भी कुछ बचा है या उसे राजनीतिक वर्ग ने पूरी तरह भुला दिया? हमीरपुर से अमन गुप्ता की पड़ताल