Violence

BJP Office in Durgapur set on fire by TMC members

पश्चिम बंगाल: न सांप्रदायिकता हारी है, न विकास जीता है

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पश्चिम बंगाल के चुनावी मैदान में चार दलों के होने के बावजूद मतदाताओं के लिए महज भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच आर-पार बंट गया लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद अब हिंसक रंग दिखा रहा है। केंद्र में सरकार बन चुकी है, लेकिन मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे ‘अवैध और अलोकतांत्रिक’ करार दिया है। भाजपा फिलहाल चुप है, लेकिन बंगाल में उसकी सीटों में आई गिरावट को सांप्रदायिकता पर जनादेश मानना बड़ी भूल होगी। चुनाव परिणामों के बाद बंगाल के मतदाताओं से बातचीत के आधार पर हिमांशु शेखर झा का फॉलो-अप

A demonstrator holds a placard during a protest against the release of the convicts in Bilkis Bano case

नए भारत में बलात्कारियों का संरक्षण : कैसे अच्छे दिन? किसके अच्छे दिन?

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बीते कुछ बरसों के दौरान भारत में यौन अपराधों और इनके केस में सजा होने के बीच बहुत गहरी खाई पनपी है। पीड़ितों की खुदकशी से लेकर उन्‍हीं पर पलट कर मुकदमा किया जाना, अपराधियों का माल्‍यार्पण, सरवाइवर के बयान पर संदेह खड़ा किया जाना, और आखिरकार सजा मिलने पर भी बलात्कारियों का जमानत पर बाहर निकल आना दंडमुक्ति की फैलती संस्कृति का पता देता है। 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार आने से पहले राज्यसत्ता और पितृसत्ता ने इसकी जमीन बना दी थी। नारीवादी लेखिका-कार्यकर्ता रंजना पाढ़ी की विस्तृत पड़ताल

Mother of a victim of Hamirpur Double Rape 2024 in her home

यूपी : बेहतर कानून व्यवस्था के छद्म को भेद रहा है आधी आबादी पर फैलता हुआ अंधेरा

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उत्‍तर प्रदेश में भाजपा को वोट देने का इकलौता कारण बेहतर लॉ ऐंड ऑर्डर का दावा है। इस दावे के पीछे दर्जनों आत्‍महत्‍याएं और हजारों बलात्‍कार छुपा लिए गए हैं। कानून वाकई इतना चाक-चौबंद है कि बलात्‍कार के बाद लड़कियां रहस्‍यमय ढंग से मर जा रही हैं, उनके बाप इंसाफ न मिलने पर खुदकशी कर ले रहे हैं और पुलिस दोनों को आत्‍महत्‍या बताकर केस बंद कर दे रही है। बीती फरवरी में हुआ हमीरपुर डबल रेप कांड ऐसी ही तीन मौतें लेकर आया था। चार दशक बाद कोई प्रधानमंत्री हमीरपुर गया, लेकिन केवल नदी जोड़ने की बात कर के चला आया। बलात्‍कृत-मृत दलित लड़कियों के टूटे हुए परिजन ताकते ही रह गए। नीतू सिंह की फॉलो-अप रिपोर्ट

Vijayadashmi celebrations of RSS in Nagpur, 2023

निन्यानबे का फेर : फीकी रामनवमी, कम मतदान और भागवत बयान की चुनावी गुत्‍थी

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आरएसएस का शताब्‍दी वर्ष समारोह न मनाने का सरसंघचालक मोहन भागवत का बयान पहले चरण के मतदान से ठीक पहले आया। तब से दो चरण हिंदी पट्टी में ठंडे गुजर चुके हैं। रामनवमी के जुलूसों से भी चुनाव में गर्मी नहीं आ सकी क्‍योंकि राम मंदिर अब लोगों के आत्‍मसम्‍मान का सवाल नहीं रहा। भगवान अब टेंट में नहीं हैं। तो क्‍या संघ इस लोकसभा चुनाव में बैठ गया है? और क्‍या भाजपा को राम मंदिर का बन जाना पच नहीं पा रहा कि मोदी लौट-लौट कर अयोध्‍या जा रहे हैं? अमन गुप्‍ता की रिपोर्ट

तीन साल बाद भूलगढ़ी: हाथरस की वह घटना, जिसने लोकतंत्र को नाकाम कर दिया

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आज हाथरस गैंगरेप कांड को तीन साल हो गए। तकनीकी रूप से साबित किया जा चुका है कि यह रेप कांड नहीं था। हत्‍या की मंशा भी नहीं थी। केवल एक आदमी जेल में है, तीन बाहर। परिवार कहीं ज्‍यादा सघन कैद में, जिसका घर सीआरपीएफ की छावनी बन चुका है। गांव से बाहर निकलने की छटपटाहट अदालतों में नाकाम हो चुकी है, हाथरस से शुरू हुई बंटवारे की राजनीति कामयाब। एक जीता-जागता गांव कैसे तीन साल में मरघट बन गया, बता रही हैं गौरव गुलमोहर के साथ भूलगढ़ी से लौटकर नीतू सिंह इस फॉलो-अप स्‍टोरी में

दिल्ली में मेरा घर जला दिया गया… रामायण और कुरान दोनों को आंच आई है!

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दिल्‍ली में 30 अगस्‍त की सुबह एक महिला पत्रकार खुशबू अख्‍तर का घर जला दिया गया। जलाने वालों का अब तक कोई सुराग नहीं, लेकिन इसके हादसा होने की गुंजाइश भी नगण्‍य है। इस आग में सिर्फ एक घर नहीं जला है, साझा संस्‍कृति के प्रतीक भी जलकर खाक हुए हैं। यह घटना इसलिए गंभीर है क्‍योंकि धर्मनिरपेक्षता के प्रति इस पत्रकार की विश्वसनीयता असंदिग्ध है। बीते कुछ वर्षों के दौरान वंचितों और अल्‍पसंख्‍यकों के सवालों को खुशबू ने जिस साहस और निरंतरता के साथ उठाया है, वह इस घटना की मंशाओं की ओर संकेत करता है। खुशबू अख्‍तर की कलम से ही पूरी आपबीती

मणिपुर: हथियारों की लूट, सुरक्षाबलों पर FIR, और अब 15 अगस्त का बहिष्कार!

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आज पूरा देश जब स्‍वतंत्रता दिवस मना रहा है, मणिपुर में सतरह घंटे की बंदी है। मैतेयी सशस्‍त्र संगठन कॉरकॉम ने स्‍वतंत्रता दिवस के बहिष्‍कार का आह्वान कर दिया है। कुछ संगठनों ने 14 अगस्‍त को ही अपनी आजादी का दिवस मना लिया है। 3 मई से शुरू हुई हिंसा सरकारी हथियारों की लूट से लेकर सशस्‍त्र बलों पर एफआइआर और पुलिस के साथ तनाव में तब्‍दील होते हुए इस स्थिति त‍क आखिर कैसे पहुंच गई जबकि पिछले ही हफ्ते कुकी नेता गृहमंत्री से दिल्‍ली में मिलकर गए हैं? मणिपुर से लौटकर रोहिण कुमार की श्रृंखला की तीसरी कड़ी

“मेरा दिल टूट गया है, बंगाल का भविष्य अंधकारमय है”: अपर्णा सेन का ममता बनर्जी को खुला पत्र

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कभी ममता बनर्जी के पीछे बंगाल का तकरीबन समूचा बौद्धिक समाज खड़ा हुआ था। महज तीन साल पहले फिल्‍मकार और अभिनेत्री अपर्णा सेन का नाम उन 49 बौद्धिकों में था जिन्‍होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम एक पत्र लिखकर मॉब लिंचिंग जैसी नफरत भरी घटनाओं के लिए सरकार की निंदा की थी। उस समय खुद ममता बनर्जी ने अपर्णा सेन ओर अन्‍य के लिखे का समर्थन किया था। कहानी अब पलट चुकी है।

प. बंगाल: भाजपा की याचिका में अटक गया पंचायत चुनाव परिणाम, ममता के निशाने पर ‘राम, श्याम, वाम’

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पंचायत चुनावों में हिंसा को लेकर अदालत का रुख शुरुआत से ही बहुत सख्त बना हुआ है। चुनाव संपन्न होने के बाद पूरी चुनावी प्रक्रिया में हिंसा और गड़बड़ी को लेकर अदालत में तीन जनहित याचिकाएं दाखिल हुई थीं जिन पर सुनवाई करते हुए अदालत ने बुधवार को चुनाव नतीजे अपने अधीन कर लिए

प. बंगाल: चुनाव नतीजे से पहले शाह से मिले गवर्नर, बोले ‘बसंत दूर नहीं है’!

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सोमवार को दो मौतों की सूचना के साथ, पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव संबंधी हिंसा में हताहतों की कुल संख्या अब तक 38 तक पहुंच गई है।