Bihar

कोरोना की आड़ में फिर से जागा रद्द कचरा संयंत्र, इंसानी त्रासदी के मुहाने पर भोजपुर

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दस साल पहले बिहार में शुरू हुआ एक कचरा संयंत्र जनता के आंदोलन और प्रदूषण बोर्ड की नामंजूरी के कारण बंद हो चुका था। लोगों ने चैन की सांस ली ही थी कि कोविड में चुपके से इस पर दोबारा काम शुरू हो गया। आज जनता फिर से आक्रोशित है। कोईलवर प्रखंड के जमालपुर गांव से होकर आई पीयूसीएल की जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट 23 जुलाई को जारी की है। इस रिपोर्ट के प्रमुख अंश

कृषि मंडियों पर कर्नाटक का फैसला और विपक्षी एकता के संयोजक के लिए एक सबक

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एपीएमसी कानून को रद्द करने वाला बिहार अकेला राज्‍य है। इसके मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार विपक्षी एकता के संयोजक हैं जो बैठक के लिए बेंगलुरू जा रहे हैं। कर्नाटक ने कृषि मंडियों की बहाली का विधेयक पिछले ही हफ्ते पेश किया है, जिसे भाजपा सरकार ने खत्‍म कर दिया था। एकता महज चुनावी रहेगी या उत्‍तर के एक राज्‍य का मुख्‍यमंत्री दक्षिण के दूसरे राज्‍य के फैसलों से कुछ सबक भी लेगा? बिहार में कृषि मंडियों के विनाश पर डॉ. गोपाल कृष्‍ण

MNREGA: बिहार सरकार झूठ बोल रही है या घर लौट कर खाली बैठे लाखों प्रवासी मजदूर?

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महामारी ने आय के सभी साधनों को समाप्त कर दिया। बिहार लौटे प्रवासी मजदूर बिना किसी निश्चित आय, भोजन और सहायता के आजीविका से वंचित हो गए। खुद नीति आयोग से लेकर तमाम रिपोर्टें ऐसा कहती हैं। फिर बिहार सरकार मनरेगा पर सदन में झूठ क्यों बोल रही है। सुल्तान अहमद की रिपोर्ट