BJP

Symbol of BJP painted on childran's face

अमेरिका से लेकर भारत तक अपने नेता के साये में जॉम्बी बनते राजनीतिक दल

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अपनी राजनीतिक पार्टी की मशीनरी को पूरी तरह हाइजैक कर लेना तानाशाहों में तब्‍दील हो रहे तमाम लोकप्रिय नेताओं का शगल बन चुका है। डोनाल्‍ड ट्रम्‍प अकेले ऐसे दक्षिणपंथी नेता नहीं हैं जिन्‍होंने अपनी पार्टी को अपनी मनमर्जी के अधीन कर डाला है। हंगरी, नीदरलैंड्स, फ्रांस से लेकर भारत तक सूची लंबी है। इतिहास गवाह है कि देश में निरंकुश शासन लगाने की ओर पहला तार्किक कदम पार्टी का आंतरिक लोकतंत्र खत्‍म कर के उसे तानाशाही में बदलना होता है। राजनीतिक दर्शन के विद्वान यान-वर्नर म्‍यूलर की टिप्‍पणी

भारत में धनकुबेरों का फैलता राज और बढ़ती गैर-बराबरी: पिछले दस साल का हिसाब

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प्रतिष्ठित अर्थशास्‍त्री थॉमस पिकेटी ने भारत में गैर-बराबरी और अरबपतियों के फैलते राज पर एक रिपोर्ट जारी की है। वर्ल्‍ड इनीक्वालिटी लैब से जारी इस रिपोर्ट को पिकेटी के साथ नितिन कुमार भारती, लुकास चैन्सल और अनमोल सोमंची ने मिलकर लिखा है। पिछले दस वर्षों के दौरान किस तरह भारत धनकुबेरों के तंत्र में तब्‍दील होता गया है और यहां का मध्‍यवर्ग लगभग लापता होने के कगार पर आ चुका है, उसकी एक संक्षिप्‍त तथ्‍यात्‍मक तस्‍वीर फॉलो-अप स्‍टोरीज अपने पाठकों के लिए चुन कर प्रस्‍तुत कर रहा है

पंजाब: बदलती सरकारें, चढ़ता नशा, मरती जवानी

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पांच साल पहले जब मुख्‍यमंत्री अमरिंदर सिंह ने ड्रग तस्‍करों को मृत्‍युदंड की सिफारिश की थी, तब लगा था कि उड़ते पंजाब पर लगाम लग जाएगी। फिर सरकार बदली। दस दिन के अंदर नए मुख्‍यमंत्री भगवंत मान ने सूबे को नशामुक्‍त करने की शपथ खाई, तो दिल्‍ली में उन्‍हीं की पार्टी के बड़े नेता शराब घोटाले में अंदर चले गए। अब चुनाव फिर सिर पर हैं तो भाजपा नशामुक्‍त पंजाब का नारा देकर रैलियां निकालने जा रही है। उधर लगातार जारी मौतों के धुंधलके में ड्रग्‍स जब्‍ती के सरकारी आंकड़े श्‍मशान की राख से भी हलके नजर आते हैं। पंजाब से मनदीप पुनिया की ग्राउंड रिपोर्ट

‘महुआ दीदी चुप नहीं बैठेंगी!’ अपनी महिला सांसद के निष्कासन पर गरमा रहा है बंगाल

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महुआ मोइत्रा को संसद से निष्कासित किए जाने के बाद समूचा राजनीतिक विपक्ष तो इस कदम का विरोध कर ही रहा है, वहीं समूचे बंगाल में तृणमूल कांग्रेस का विरोध प्रदर्शन भी जारी है। बंगाल के आम लोग भी इस कदम को भाजपा का राजनीतिक बदला बता रहे हैं। राजधानी कोलकाता से लेकर बंगाल के गांव-कस्‍बों में सार्वजनिक स्थानों पर चल रही सियासी चर्चाओं का हाल बता रहे हैं नित्‍यानंद गायेन

बांदा: दलित औरत के बलात्कार को हादसा बताकर अपराधियों को बचा रही है पुलिस?

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औरतों से बलात्‍कार के बाद उनका अंग-भंग करने का चलन इधर बीच बहुत तेजी से बढ़ा है। शहरों से शुरू हुआ यह सिलसिला अब गांवों तक पहुंच चुका है। पिछले महीने बांदा में एक दलित औरत के साथ सामूहिक बलात्‍कार के बाद उसका सिर और हाथ काट दिया गया था। आरोपित भारतीय जनता पार्टी से संबद्ध तीन सवर्ण पुरुष थे। पुलिस की जांच में इसे हादसा बता दिया गया। आंदोलन के दबाव में महज एक गिरफ्तारी हुई, लेकिन धाराएं हलकी कर दी गईं। पतौरा गांव में 31 अक्‍टूबर को हुई जघन्‍य घटना की अविकल फैक्‍ट फाइंडिंग रिपोर्ट

राजस्थान: अपनी ही बिछाई बिसात पर वजूद की मुकम्मल जंग में फंसे दो सियासी महारथी

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राजस्थान के दो सबसे बड़े सियासी चेहरे इस चुनाव में दांव पर लगे हुए हैं या फिर इन दोनों ने अपने राजनीतिक करिअर के लिए आपस में मिल कर चुनाव को ही दांव पर लगा दिया है, यह अनसुलझा सवाल हल होने में अब केवल तीन दिन बाकी हैं। पूरे चुनाव के दौरान राजस्थान की सघन यात्रा पर रहे मनदीप पुनिया ने इस सवाल का जवाब खोजने के लिए हर तरह की तीसरी ताकत और उसके प्रतिनिधियों से बात की। चुनाव परिणाम से पहले राजस्थान की भावी चुनावी तस्वीर का जमीन से सीटवार और क्षेत्रवार आकलन

वसुंधरा के लंबे दबाव से उबरा आरएसएस राजस्थान चुनाव में कुछ ज्यादा सक्रिय क्यों है?

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बीस साल से वसुंधरा राजे के पाश में फंसा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पहली बार खुलकर सांस लेता दिख रहा है, तो राजस्थान के चुनाव में भी पर्याप्त सक्रिय है। उसकी सक्रियता भले ऊपर से दिखती न हो, लेकिन हर प्रचारक गेमप्लान और स्ट्रेटजी की बात करता सुनाई देता है। आखिर क्या है यह रणनीति और संघ इससे क्या हासिल करना चाह रहा है? राजस्थान से लौटकर अभिषेक श्रीवास्तव की रिपोर्ट

छत्तीसगढ़: एक कानून बना कर उसे जमीन पर उतारने में पांच साल क्यों कम पड़ गए?

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हिंदी पट्टी में सबसे पहले पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर एक कानून बनाने की मांग छत्‍तीसगढ़ से ही उठी। यह मुद्दा पिछले विधानसभा चुनाव में इतना गरमाया हुआ था कि कांग्रेस पार्टी को अपने घोषणापत्र में पत्रकार सुरक्षा कानून लाने का वादा करना पड़ा। भूपेश बघेल की सरकार आने के बाद ऐसा कानून बनाने में राज्‍य सरकार को पूरे साढ़े चार साल लग गए। बीते मार्च में यह कानून बनकर पारित हुआ, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। रायपुर से विष्णु नारायण की रिपोर्ट

लखीमपुर हत्याकांड: दो साल बाद भी पुलिसिया पहरे में घुट रहे हैं शहीद किसानों के परिवार

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किसान आंदोलन के चरम पर 3 अक्‍टूबर, 2021 को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया थानांतर्गत पांच लोगों पर सांसद-पुत्र की थार जीप चढ़ा दी गई थी। आज दो साल बाद सांसद और केंद्रीय मंत्री टेनी चुनाव की तैयारियों में व्‍यस्‍त हैं। उनका बेटा मोनू सुप्रीम कोर्ट से जमानत पर है। इस हत्‍याकांड की दूसरी बरसी पर पूरे देश में टेनी, मोनू और मोदी के पुतले जलाए गए हैं। जो आठ लोग उस दिन मारे गए, उन्‍हें पूछने वाला कोई नहीं है। लखीमपुर से लौटकर इम्तियाज़ अहमद की फॉलो-अप रिपोर्ट

प. बंगाल: भाजपा की याचिका में अटक गया पंचायत चुनाव परिणाम, ममता के निशाने पर ‘राम, श्याम, वाम’

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पंचायत चुनावों में हिंसा को लेकर अदालत का रुख शुरुआत से ही बहुत सख्त बना हुआ है। चुनाव संपन्न होने के बाद पूरी चुनावी प्रक्रिया में हिंसा और गड़बड़ी को लेकर अदालत में तीन जनहित याचिकाएं दाखिल हुई थीं जिन पर सुनवाई करते हुए अदालत ने बुधवार को चुनाव नतीजे अपने अधीन कर लिए