‘वोट चोरी’ और SIR के आर-पार, क्या सोच रहा है चुनावी बिहार? जमीनी स्वर और शुरुआती संकेत…
byऐसा लगा कि समय से पहले ही राहुल गांधी ने एक यात्रा निकाल कर बिहार में चुनावी माहौल जमा दिया था, लेकिन अब उसका असर छीजता दिख रहा है। तेजस्वी अपने दम पर अकेले एक नई यात्रा निकाल रहे हैं; मोदी-नीतीश योजनाएं और पैकेज देने में जुट गए हैं; तो विपक्ष की हवा बनाने वाला चुनाव आयोग का एसआइआर 7 अक्टूबर तक अदालत में फंस गया है। इस बीच लोग क्या सोच रहे हैं? बीस साल से कायम सत्ता की यथास्थिति टूटने की क्या कोई भी संभावना है? लगातार आठ दिन चौबीस घंटे बिहार की सड़कों को नाप कर दिल्ली लौटे गौरव गुलमोहर का बिहार विधानसभा चुनाव 2025 पर एक पूर्वावलोकन