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MSP: आंदोलन से भी नहीं खिला सूरजमुखी, मक्का-मूंग पर बढ़ रहा है गुस्सा

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हरियाणा और पंजाब में गेंहू के अलावा बाकी फसलों पर एमएसपी केवल दावे की बात है वरना हकीकत यह है कि लाभकारी मूल्‍य के लिए किसान दोनों राज्‍यों में तरस रहे हैं। आंदोलन कर के सूरजमुखी के दाम बढ़वाने की अपनी मांग मनवाने के बावजूद दस दिन हो गए और हालत जस की तस बनी हुई है। नए सिरे से आंदोलन परवान चढ़ रहा है

आपदा में अवसर: हवा-पानी पर कब्जे के बाद ‘व्यथित’ अदाणी की रेलवे में एन्ट्री

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गौतम अदाणी ने बालेश्‍वर ट्रेन हादसे के बाद 4 जून को ‘बेहद व्‍यथित’ होकर एक ट्वीट किया था। उसमें उन्‍होंने बताया था कि ‘जिन मासूमों ने इस हादसे में अपने अभिभावकों को खोया है उनकी स्कूली शिक्षा की जिम्मेदारी अडाणी समूह उठाएगा।‘ इस फैसले पर अदाणी की काफी सराहना हुई थी, लेकिन कोई नहीं जानता था कि इस त्रासदी की आड़ में कोई व्‍यापारिक सौदा चल रहा था, जिसका खुलासा दो हफ्ते बाद ही हो जाएगा।

इटली में एक अरबपति को मिली सजा भारत के एस्बेस्टस अपराधियों के लिए सबक क्यों है

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स्विस अरबपति स्‍तेफन श्‍मीथाइनी को 392 लोगों की हत्‍या के लिए मिली 12 साल की सजा एस्‍बेस्‍टस का धड़ल्‍ले से आयात करने वाली भारत सरकार और यहां उसके कारखाने चलाकर लोगों की जिंदगियों से खिलवाड़ करने वाले उद्योगपतियों के लिए एक जरूरी सबक है। भारत के एस्‍बेस्‍टस अपराधियों का भविष्य स्‍तेफन से अलग नहीं है।

नोटबंदी 2.0 : काला धन वापस आएगा, लेकिन सफेद हो कर!

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बैंकों की हालत फिर खस्ता हो चुकी है। इसको बचाने के लिए सरकार द्वारा बैंकों का आपसी विलय करना भी काम नहीं आया क्योंकि उद्योगपतियों ने नोटबंदी के बाद लिए गए कर्ज की वापसी की ही नहीं, जो कि उनकी फितरत है

सेबी की जांच के पहले ही सुप्रीम कोर्ट की कमेटी ने अदाणी को क्लीन चिट कैसे दे दी?

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सेबी ने सुप्रीम कोर्ट से हलफनामे में कहा था कि 2016 से उसके द्वारा अदाणी समूह की किसी भी कंपनी की जांच नहीं की जा रही थी। जब जांच ही नहीं हो रही थी, तो सुप्रीम कोर्ट की कमेटी की रिपोर्ट में सेबी पाक साफ कैसे निकल आई

बनारस: 22 साल पुरानी परियोजना में जमीन कब्जाने के लिए पहली बार चली लाठी, फूटे सिर

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कई ग्रामीणों को हिरासत में लिया गया है। कुछ ग्रामीण घायल भी हुए हैं। ग्रामीणों की पत्‍थरबाजी में पुलिस को चोट लगने की बात भी सामने आ रही है। पिछले दो दशक के दौरान यह परियोजना विभिन्‍न कारणों से उठती गिरती रही है लेकिन पहली बार यहां ऐसी हिंसा हुई है।

नौ गुना चुनावी बॉन्ड की बारिश यानि कर्नाटक का चुनाव फिर सबसे महंगा?

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पिछले चुनाव में अगर दस हजार करोड़ का प्रचार खर्च आया था जो रिकॉर्ड था, तो अबकी नौ गुना ज्‍यादा बॉन्‍डों की बिक्री के साथ कुल चुनावी खर्च कायदे से एक लाख करोड़ के आसपास पहुंच जाना चाहिए, हालांकि यह गणित इतना सीधा नहीं है

MNREGA के 17 साल बाद मजदूर आंदोलन क्यों कर रहे हैं?

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मनरेगा मजदूरों की मांग है कि इस स्कीम के तहत मिलने वाले दैनिक भत्‍ते में बढ़ोतरी हो, काम के दिनों को बढ़ाया जाए और हाल ही में लागू किए गए ऑनलाइन हाजिरी सिस्टम के चलते उनके सामने आ रही दिक्कतों का समाधान किया जाए।

अच्छा और बुरा अर्थशास्त्र

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सत्तर के दशक के उत्तरार्ध में जब अभिजीत एक अर्थशास्त्री बनने की दिशा में कदम बढ़ा रहे थे उस वक्त सोवियत रूस के प्रति थोड़ा सम्मान बचा हुआ था जबकि भारत उसके जैसा बनने की पूरी कोशिश कर रहा था। वामपंथी अतिवादी चीन को मानते थे, चीनी लोग माओ की पूजा करते थे, रीगन और थैचर ने आधुनिक कल्याणकारी राज्य पर अपने हमले अभी शुरू ही किए थे और दुनिया के करीब 40 फ़ीसदी आबादी भयंकर गरीबी में जी रही थी। तब से लेकर अब तक कितना कुछ बदल चुका है और शायद इसमें काफी कुछ बेहतरी के लिए है।