RSS@100 : संविधान की छाया में चक्रव्यूह… संघ अब राजकीय नीति है, नारा नहीं!
byराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सौ साल का हो गया। ठीक उसी दिन, जब महात्मा गांधी की जयन्ती थी और दशहरा भी था। बीते लोकसभा चुनाव के बाद वाले एकाध महीने छोड़ दें, तो सौवें साल में संघ-शीर्ष तकरीबन शांत मुद्रा में ही रहा। यह मुद्रा विजयादशमी के एक दिन पहले वाकई राजकीय मुद्रा में तब्दील हो गई। गांधी-हत्या के बाद जिसे खोटा माना गया था, संघ का वह सिक्का 77 साल बाद चल निकला। भारतीय राष्ट्र-राज्य, लोकतंत्र, संविधान और सत्ताधारी दल के लिए इसके क्या निहितार्थ हो सकते हैं? पहले भी संघ पर यहां लिखने वाले व्यालोक ताजा संदर्भ में एक बार फिर रोशनी डाल रहे हैं