मणिपुर: आग लगाने की तैयारी तो पहले से थी, 3 मई की रैली होती या नहीं…
byमणिपुर में दो समुदायों के बीच हिंसा को जल्द ही तीन महीने पूरे हो जाएंगे। प्रधानमंत्री ने केवल एक वाक्य अब तक कहा है, वो भी संसद का सत्र शुरू होने से ठीक पहले, संसद के बाहर, भीतर नहीं। सुप्रीम कोर्ट शुरू में लापरवाह रहा, फिर सख्त हुआ, लेकिन उसका कुछ हासिल नहीं है। उधर, दर्द और हिंसा की कहानियां दोनों तरफ से बराबर आ रही हैं। संवेदना पाले में बंट गई है। सच्चाई धुंधली हो गई है। ऐसे में मणिपुर से लौटकर रोहिण कुमार सुना रहे हैं आंखों देखी, कानों सुनी और महसूस की हुई कहानियां किस्तों में। पहली कड़ी प्रस्तुत है