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संयुक्त विपक्ष के ‘चाणक्य’ के यहां भाजपा की सेंधमारी, महाराष्ट्र के बाद अब किसकी बारी?

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विपक्षी एकता के लिए गैर-भाजपा दलों को एकजुट करने की मुहिम में लगे शरद पवार के घर में ही सेंध लग गई है। उनके भतीजे 40 से ज्‍यादा विधायकों के समर्थन से अचानक महाराष्‍ट्र के उपमुख्‍यमंत्री बन गए हैं। इस तरह शिव सेना के बाद अब एनसीपी भी बीच में से दो फाड़ हो गई है। कुछ और राज्‍यों में विपक्षी दलों के तमाम छोटे-बड़े नेता भाजपा के साथ संपर्क में हैं और सही मुहूर्त की बाट जोह रहे हैं। बंगलुरु में होने वाली संयुक्‍त विपक्ष की दूसरी बैठक खटाई में पड़ गई है।

तमिलनाडु: राज्यपाल का द्रविड़ प्राणायाम और एक सनातन संवैधानिक संकट

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बिहार के रहने वाले पूर्व खुफिया अधिकारी रवि को जब नगालैंड से तमिलनाडु भेजा गया था, तभी कुछ नेताओं ने इस नियुक्ति को राजनीतिक करार दिया था। रवि ने इन तमाम आशंकाओं को बीते दो साल में सच साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। अबकी सीधे मंत्री को बर्खास्त कर के उन्होंने साफ बता दिया है कि वे किसके लिए काम कर रहे हैं। घटना नई है, रीत पुरानी।

बारह साल बाद चुनाव प्रचार करने उतरी मुख्यमंत्री की बाल-बाल बची जान

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बीएसएफ की ओर से एक लिखित स्‍पष्‍टीकरण आया जिसमें उसने ममता के लगाए आरोपों को निराधार करार दिया। अभी तक राज्‍यपाल और हाइकोर्ट के साथ ममता बनर्जी की सरकार टकराव में थी। पहली बार केंद्रीय सैन्‍य बलों पर मुख्‍यमंत्री ने आरोप लगाया है।

बेनामी और बेहिसाब कॉरपोरेट चंदे के खिलाफ चार दशक पुराने संवैधानिक विवेक की साझा लड़ाई

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अगस्‍त 1997 में नीतीश कुमार ने लोकसभा में एक भाषण दिया था। फरवरी 2023 में राहुल गांधी ने एक भाषण दिया। ढाई दशक में संदर्भ बदल गए, लेकिन मुद्दा एक ही रहा- चुनावों की बेनामी कॉरपोरेट फंडिंग। नीतीश के सुझाव को भाजपा ने कभी नहीं माना। राहुल की जब बारी आई, तो सदन के माइक ही बंद कर दिए गए। पटना में हो रही विपक्षी एकता बैठक के बहाने चुनावों की राजकीय फंडिंग के हक में चार दशक के संसदीय विवेक पर बात कर रहे हैं डॉ. गोपाल कृष्‍ण

मणिपुर: दिन पचास पार, मौतें सौ पार, प्रधानमंत्री सीमापार

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एक हफ्ते से ज्‍यादा वक्‍त से मणिपुर के विधायक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने के लिए दिल्‍ली में डेरा डाले हुए हैं लेकिन उनकी मुलाकात नहीं हो पाई है। प्रधानमंत्री अमेरिका के दौरे पर हैं। इस बीच कांग्रेस संसदीय बोर्ड की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज एक यहां संदेश जारी किया है और शांति व सौहार्द की अपील की है।

प. बंगाल: सुप्रीम कोर्ट में याचिका खारिज, तृणमूल ने कहा- यूएन से शांति सेना भी बुला लो!

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पंचायत चुनाव में केंद्रीय बलों की तैनाती के संबंध में सुप्रीम कोर्ट से पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका खारिज होने के बाद तृणमूल कांग्रेस ने इसे विपक्ष की साजिश करार दिया है जबकि भाजपा ने इसे ममता सरकार की नैतिक हार बताया है।

पश्चिम बंगाल: सबसे ज्यादा नामांकन के बावजूद सुप्रीम कोर्ट पहुंची तृणमूल सरकार

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इतिहास गवाह है कि केंद्रीय बल हों चाहे केंद्रीय पर्यवेक्षक अथवा राष्‍ट्रीय मीडिया और अदालती निर्देश, बंगाल की राजनीतिक जमीन पर चुनावी हिंसा के आड़े कुछ भी नहीं आता। नब्‍बे के दशक में मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त टीएन शेषन इकलौते थे जिन्‍होंने यहां शांतिपूर्ण चुनाव करवाए, लेकिन वह बंगाल की राजनीतिक परंपरा में एक अपवाद ही कहा जाएगा। ताजा चुनावी हिंसा पर कोलकाता से नित्यानंद गायेन की रिपोर्ट

BK-5: बिना सुनवाई, बिना चार्जशीट, एक अनंत कैद के पांच साल

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तीन साल पहले जिस बंबई हाइकोर्ट ने गौतम नवलखा के चश्‍मे के मामले में इंसानियत का हवाला दिया था उसी ने वरवरा राव को जमानत पर मोतियाबिंद का ऑपरेशन करवाने के लिए हैदराबाद जाने से रोक दिया। भीमा कोरेगांव हिंसा के मामले में कैद सोलह में से पांच की गिरफ्तारी को पांच साल बीते 6 जून को पूरा हो गया। सुनवाई शुरू होने के अब तक कोई संकेत नहीं हैं। यह कैद अनंत होती जा रही है

मैनपुरी का दलित नरसंहार: चार दशक बाद आया फैसला और मुखौटे बदलती जाति की राजनीति

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जुर्म जैसा दिख रहा था दरअसल वैसा था नहीं और इंसाफ जिस रूप में हुआ है उसकी भी जुर्म से संगति बैठा पाना मुश्किल है। इसके बावजूद, सब कुछ सरकार और उसे चलाने वाली जाति के पक्ष में ही रहा, और आज भी है। बयालीस साल पहले हुए साढ़ूपुर नरसंहार में बुधवार को आया फैसला कांग्रेस के पतन और भाजपा के उभार को समझने का एक कारगर मौका है

नेपाल का फर्जी शरणार्थी घोटाला और प्रचंड की भारत यात्रा

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फर्जी शरणार्थी घोटाले की आंच में तप रहे नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचण्‍ड अपनी भारत यात्रा पर प्रधानमंत्री मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता में भूटानी शरणार्थियों का मुद्दा उठा पाएंगे या नहीं? कुछ लोगों की उम्‍मीद भारत से भी है क्‍योंकि ‘भूटान भारत की सुनता है’, लेकिन इस मसले पर अतीत के संदिग्‍ध रिकॉर्ड के मद्देनजर क्‍या भारत भूटान से कुछ कह पाएगा, यह भी एक सवाल है। फर्जी शरणार्थी घोटाले पर चर्चा के बीच नेपाली मूल के भूटानी शरणार्थियों यानी ल्‍होत्‍सम्‍पा समुदाय की व्‍यथा याद कर रहे हैं अभिषेक श्रीवास्‍तव